3 घंटे 31 मिनट की वो फिल्म, जिसमें 5-6 नहीं, पूरे 72 गाने, सभी सुपरहिट, बनाया रिकॉर्ड जो आज तक नहीं टूटा
New Delhi,(Bollywood Film With 72 Songs):बॉलीवुड का नाम सुनते ही जेहन में मधुर गीत, रंग-बिरंगी कहानियां और शानदार अदाकारी की तस्वीर उभरती है। हिंदी सिनेमा और गानों का रिश्ता ऐसा है, मानो बिना म्यूजिक के फिल्म अधूरी हो। आमतौर पर एक फिल्म में 5-6 गाने होते हैं, जो कहानी को और रंगीन बनाते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सुना है, एक ऐसी फिल्म के बारे में, जिसमें 5-6 नहीं, बल्कि पूरे 72 गाने थे? जी हां, यह कोई मजाक नहीं, बल्कि भारतीय सिनेमा के इतिहास का एक सुनहरा पन्ना है। यह फिल्म है 1932 में रिलीज हुई ‘इंद्र सभा’, जिसने 72 गानों के साथ एक ऐसा रिकॉर्ड बनाया, जो 93 साल बाद भी कोई नहीं तोड़ पाया। आइए, जानते हैं इस फिल्म की कहानी, इसके गानों का जादू और उस दौर की चमक, जो आज भी बरकरार है।
‘इंद्र सभा’: भारतीय सिनेमा का अनमोल रत्न
1932 में रिलीज हुई ‘इंद्र सभा’ भारतीय सिनेमा की पहली साउंड फिल्मों में से एक थी। यह वह दौर था, जब मूक फिल्मों का जादू खत्म हो रहा था और बोलती फिल्मों ने दर्शकों के दिलों में जगह बनानी शुरू की थी। करीब 3 घंटे 31 मिनट लंबी इस फिल्म को जेएफ मदन की कंपनी मदन थिएटर ने बनाया था। यह फिल्म 1853 में लिखे गए एक उर्दू नाटक ‘इंद्र सभा’ पर आधारित थी, जिसे सईद आगा हसन अमानत ने लिखा था। इस नाटक की लोकप्रियता इतनी थी कि इसे थिएटर में बार-बार मंचन किया जाता था, और जब इसे फिल्म का रूप दिया गया, तो यह दर्शकों के लिए एक अनोखा अनुभव बन गया।
फिल्म की कहानी एक दयालु और न्यायप्रिय राजा के इर्द-गिर्द घूमती है, जो अपनी प्रजा से बेहद प्यार करता है और हर जरूरतमंद की मदद करता है। कहानी में एक अप्सरा आती है, जो राजा की नेकी की परीक्षा लेने की कोशिश करती है। लेकिन इस परीक्षा के चक्कर में अप्सरा खुद राजा को दिल दे बैठती है। इस रोमांचक और भावनात्मक कहानी को 72 गानों के साथ पिरोया गया, जो उस समय के दर्शकों के लिए किसी जादू से कम नहीं था।

72 गाने: एक अनोखा रिकॉर्ड
‘इंद्र सभा’ के 72 गाने ही इसकी सबसे बड़ी खासियत थे। इन गानों में 9 ठुमरियां, 4 होली गीत, 15 सामान्य गीत, 31 गजलें, 2 चौबोले, 5 छंद और 5 अन्य गाने शामिल थे। हर गाना कहानी का हिस्सा था और दर्शकों के दिल को छू जाता था। उस समय रिकॉर्डिंग की तकनीक इतनी उन्नत नहीं थी, फिर भी इन गानों की मधुरता और गायकी ने लोगों को दीवाना बना दिया। ये गाने न केवल हिट हुए, बल्कि उस दौर में लोगों की जुबान पर चढ़ गए। आज भी इस फिल्म के गानों की बात होती है, तो सिनेमा प्रेमी हैरान रह जाते हैं कि कैसे एक फिल्म में इतने गाने समाए गए और सभी सुपरहिट रहे।
यह रिकॉर्ड इतना अनोखा है कि विश्व सिनेमा में भी किसी फिल्म ने इसे नहीं तोड़ा। इसकी तुलना में आज की फिल्में, जिनमें 4-5 गाने भी मुश्किल से हिट होते हैं, कहीं नहीं ठहरतीं। ‘इंद्र सभा’ ने साबित किया कि गाने सिर्फ मनोरंजन नहीं, बल्कि कहानी को जीवंत करने का सबसे खूबसूरत जरिया हो सकते हैं।
जहानारा कज्जन: बंगाल की नाइटिंगेल
फिल्म में मुख्य भूमिका में थीं जहानारा कज्जन, जिन्हें उस समय ‘बंगाल की नाइटिंगेल’ कहा जाता था। जहानारा न केवल एक शानदार अभिनेत्री थीं, बल्कि एक उत्कृष्ट गायिका भी थीं। उनकी खूबसूरती और आवाज का जादू ऐसा था कि लोग उनके दीवाने हो जाते थे। फिल्म में उन्होंने सब्ज परी का किरदार निभाया, जो दर्शकों को बेहद पसंद आया। उनके साथ थे मास्टर निसार, जो गुलफाम के किरदार में नजर आए। जहानारा और मास्टर निसार की जोड़ी ऑनस्क्रीन और ऑफस्क्रीन दोनों में सुपरहिट थी। दोनों ने अपनी एक्टिंग और गायकी से फिल्म को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया।
लेकिन यह बेहद दुखद है कि जहानारा कज्जन की जिंदगी बहुत छोटी रही। 1945 में, महज 30 साल की उम्र में उनका निधन हो गया। फिर भी, उनकी आवाज और कला आज भी ‘इंद्र सभा’ के जरिए जिंदा है।
उस दौर का सिनेमा और चुनौतियां
1932 का समय भारतीय सिनेमा के लिए शुरुआती दौर था। 1931 में भारत की पहली बोलती फिल्म ‘आलम आरा’ रिलीज हुई थी, और ‘इंद्र सभा’ उसी दौर की एक और मील का पत्थर थी। उस समय साउंड रिकॉर्डिंग और फिल्ममेकिंग की तकनीक बहुत सीमित थी। स्टूडियो में लाइव गाने रिकॉर्ड किए जाते थे, और एक छोटी सी गलती के लिए पूरा सीन दोबारा शूट करना पड़ता था। इसके बावजूद, ‘इंद्र सभा’ ने 72 गानों के साथ एक ऐसी फिल्म बनाई, जो न केवल तकनीकी रूप से उम्दा थी, बल्कि दर्शकों के दिलों में बस गई।
फिल्म को IMDb पर 10 में से 7.5 की रेटिंग मिली है, जो उस समय की एक फिल्म के लिए बड़ी उपलब्धि थी। यह फिल्म उस दौर के दर्शकों के लिए एक सांस्कृतिक उत्सव थी, क्योंकि इसमें संगीत, नृत्य, ड्रामा और रोमांस का अनोखा संगम था।
आज भी क्यों खास है ‘इंद्र सभा’?
‘इंद्र सभा’ सिर्फ एक फिल्म नहीं, बल्कि भारतीय सिनेमा के इतिहास का एक स्वर्णिम अध्याय है। इसके 72 गानों का रिकॉर्ड आज भी अटूट है, और शायद भविष्य में भी कोई इसे तोड़ पाए, यह मुश्किल लगता है। यह फिल्म हमें उस दौर की कला, संस्कृति और संगीत की झलक देती है, जब सिनेमा सिर्फ मनोरंजन नहीं, बल्कि एक कला का रूप था।
आज के डिजिटल दौर में, जहां गाने कुछ ही महीनों में पुराने हो जाते हैं, ‘इंद्र सभा’ हमें सिखाती है कि सच्ची कला कभी पुरानी नहीं होती। इस फिल्म ने न केवल बॉलीवुड को, बल्कि विश्व सिनेमा को एक ऐसी मिसाल दी, जो हमेशा प्रेरणा देती रहेगी।
सिनेमा प्रेमियों के लिए एक संदेश
अगर आप सिनेमा के शौकीन हैं, तो ‘इंद्र सभा’ की कहानी आपके लिए एक प्रेरणा है। यह फिल्म हमें याद दिलाती है कि संगीत और कहानी का जादू सीमाओं को तोड़ सकता है। 93 साल बाद भी इस फिल्म की चर्चा होना अपने आप में एक चमत्कार है। तो आइए, इस अनमोल रत्न को याद करें और भारतीय सिनेमा के उस सुनहरे दौर को सलाम करें, जिसने हमें ‘इंद्र सभा’ जैसी शानदार फिल्म दी।
क्या आपने कभी ‘इंद्र सभा’ के गाने सुने हैं या इसके बारे में कुछ और जानना चाहेंगे? अपनी राय कमेंट में जरूर साझा करें, और इस लेख को अपने दोस्तों के साथ शेयर करें, ताकि वे भी इस अनोखे रिकॉर्ड की कहानी जान सकें!